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छोटी-छोटी लापरवाहियाँ बन सकती हैं किडनी रोग का कारण: बचाव और सावधानियों की पूरी जानकारी

 

फोटो- सोशल मीडिया

किडनी खराब हो रही हो तो शरीर देता है ऐसे संकेत: समय रहते पहचानें लक्षण


किडनी का शरीर में महत्व

गुर्दे, जिन्हें हम आम भाषा में किडनी कहते हैं, शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। ये न सिर्फ खून को छानकर शरीर से विषैले और बेकार पदार्थों को बाहर निकालते हैं, बल्कि शरीर में पानी, इलेक्ट्रोलाइट्स और मिनरल्स का संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, किडनी रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) को नियंत्रित करने, लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण को प्रभावित करने और हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी सहायता करती है।


लेकिन जब ये गुर्दे धीरे-धीरे काम करना बंद करने लगते हैं, तो शरीर कई प्रकार के सूक्ष्म संकेत देता है। अफसोस की बात यह है कि अधिकतर लोग इन संकेतों को मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जो आगे चलकर गंभीर बीमारी का रूप ले सकते हैं।


इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि किडनी खराब होने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं, कौन-कौन से संकेत शरीर देता है, और समय रहते कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं।


फोटो- सोशल मीडिया


किडनी खराब होने के प्रमुख कारण

विशेषज्ञों के अनुसार, किडनी की बीमारी अचानक नहीं होती, बल्कि यह धीरे-धीरे विकसित होती है। इसके कई प्रमुख कारण हो सकते हैं:


1. डायबिटीज (मधुमेह)

लगातार उच्च रक्त शर्करा का स्तर किडनी की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे धीरे-धीरे किडनी की कार्यक्षमता घटती जाती है। डायबिटिक नेफ्रोपैथी इस स्थिति का चिकित्सा नाम है।


2. उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)

उच्च रक्तचाप से किडनी की रक्त नलिकाएं प्रभावित होती हैं और इससे उनके कार्य पर सीधा असर पड़ता है।


3. बार-बार पेशाब में संक्रमण (UTI)

बार-बार यूटीआई होने पर संक्रमण मूत्रनली से होते हुए किडनी तक पहुंच सकता है, जिससे किडनी डैमेज हो सकती है।


4. लंबे समय तक कुछ दवाओं का उपयोग

दर्द निवारक दवाएं, विशेष रूप से नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs), किडनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं।


5. वंशानुगत रोग (जेनेटिक समस्याएं)

जैसे कि पॉलीसिस्टिक किडनी डिज़ीज जिसमें किडनी में गांठें बन जाती हैं।


6. किडनी में पथरी या चोट

गंभीर चोट या बार-बार पथरी की समस्या भी किडनी के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।


फोटो-सोशल मीडिया

किडनी खराब होने के शुरुआती लक्षण

लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली के मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर डॉ. एल.एस. घोटकर के अनुसार, किडनी की बीमारी धीरे-धीरे पनपती है, इसलिए इसके शुरुआती लक्षण बहुत सामान्य प्रतीत होते हैं। लेकिन यदि इन पर ध्यान न दिया जाए, तो स्थिति गंभीर हो सकती है।


1. पेशाब में बदलाव

रात में बार-बार पेशाब के लिए उठना

पेशाब की मात्रा में कमी या अधिकता

पेशाब का रंग गहरा होना

पेशाब में झाग या खून आना

इन लक्षणों को यूटीआई समझ कर नजरअंदाज करना कई बार घातक सिद्ध हो सकता है।


2. शरीर में सूजन

जब किडनी सही से तरल पदार्थ बाहर नहीं निकाल पाती, तो शरीर में पानी जमा होने लगता है, जिससे:

पैरों, टखनों और टांगों में सूजन

चेहरे और खासकर आंखों के नीचे सूजन

जूते या चप्पलों का कसना

ये सभी संकेत किडनी की कार्यक्षमता में गिरावट के संकेत हो सकते हैं।


3. थकान और कमजोरी

किडनी की खराबी से शरीर में विषैले पदार्थों का जमाव होता है, जिससे:

लगातार थकान

ऊर्जा की कमी

काम करते समय जल्दी थकान होना

ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई

यहाँ तक कि एनीमिया (हीमोग्लोबिन की कमी) भी हो सकती है।


4. भूख में कमी और स्वाद में बदलाव

किडनी रोग से पीड़ित लोगों को:

भूख कम लगना

भोजन का स्वाद अजीब लगना

मुंह में लगातार कड़वाहट

वजन में गिरावट

ये लक्षण अक्सर धीरे-धीरे सामने आते हैं, लेकिन इन्हें अनदेखा करना नुकसानदेह हो सकता है।


5. त्वचा में खुजली और रूखापन

किडनी अगर सही से विषाक्त पदार्थों को शरीर से नहीं निकाल पाती, तो यह:

पूरे शरीर में खुजली

त्वचा का रूखापन

बिना कारण लाल चकत्ते

का कारण बन सकती है। यह किडनी से संबंधित विषाक्त पदार्थों के जमाव के कारण होता है।


6. सांस फूलना और सीने में जकड़न

शरीर में जमा हुआ पानी अगर फेफड़ों तक पहुंच जाए, तो:

हल्की मेहनत में ही सांस फूलना

सोते समय सांस लेने में दिक्कत

सीने में दबाव

जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं। इसे फेफड़ों पर जलभराव (pulmonary edema) भी कहा जाता है।


7. ब्लड प्रेशर का अनियंत्रण

अगर किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर दवाओं से भी नियंत्रित न हो रहा हो, तो यह संकेत हो सकता है कि किडनी प्रभावित हो रही है।


फोटो- सोशल मीडिया

क्या करें बचाव के उपाय?

किडनी की देखभाल करना किसी जटिल चिकित्सा पद्धति पर आधारित नहीं है, बल्कि कुछ आसान लेकिन नियमित आदतें इस दिशा में मददगार हो सकती हैं।


1. नियमित जांच कराएं

क्रिएटिनिन और यूरेनिन स्तर की जांच

यूरीन रूटीन टेस्ट

ब्लड प्रेशर और शुगर की निगरानी

विशेषकर अगर परिवार में किडनी, बीपी या डायबिटीज की समस्या है, तो सतर्क रहना जरूरी है।


2. संतुलित आहार और हाइड्रेशन

रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीना

फलों, हरी सब्जियों और लो-सोडियम फूड का सेवन

प्रोसेस्ड फूड, ज्यादा नमक और तेलीय भोजन से परहेज़


3. जीवनशैली में सुधार

नियमित रूप से व्यायाम करें

धूम्रपान और शराब का सेवन बंद करें

अनावश्यक दवाओं का सेवन न करें


4. डॉक्टर की सलाह में रहें

किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। यदि कोई बदलाव बार-बार महसूस हो रहा हो, तो तुरंत विशेषज्ञ की सलाह लें।


किडनी की बीमारी "साइलेंट किलर" कही जाती है क्योंकि यह बिना किसी खास शोर-शराबे के शरीर में बढ़ती रहती है और जब तक इसका पता चलता है, तब तक किडनी को काफी नुकसान हो चुका होता है। इसीलिए समय रहते शरीर के दिए गए संकेतों को समझना और चिकित्सा पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है। गुर्दों का स्वस्थ रहना हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। यह जिम्मेदारी हमारी अपनी है कि हम अपने शरीर की भाषा को समझें और छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज न करें।

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