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वाराणसी में पीएम आवास योजना में बड़ा घोटाला: 6 करोड़ की सब्सिडी लेकर नहीं बनाया घर, 500 लाभार्थियों पर संदेह ...पढ़िए क्या है पूरा मामला

फोटो- सोशल मीडिया


  • पीएम आवास योजना में 242 लाभार्थियों की लापरवाही उजागर, अब वसूली की प्रक्रिया शुरू
  • सरकारी सब्सिडी का दुरुपयोग: वाराणसी में आवास योजना में 6 करोड़ का फर्जीवाड़ा
  • पीएम आवास योजना का पहला चरण सवालों के घेरे में, वेरिफिकेशन में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
  • डूडा की नोटिस को भी किया नजरअंदाज, अब तहसील प्रशासन कर रहा वसूली
  • दूसरा चरण शुरू होने से पहले राज्य सरकार ने शुरू की कड़ाई
  • सब्सिडी ली, निर्माण नहीं किया: सरकारी तंत्र पर भरोसे की चोट


वाराणसी, उत्तर प्रदेश। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत वाराणसी में सामने आए एक गंभीर अनियमितता ने न केवल स्थानीय प्रशासन को चौकन्ना कर दिया है, बल्कि इसने सरकारी योजनाओं के प्रति लाभार्थियों की जवाबदेही और पारदर्शिता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। जानकारी के अनुसार, योजना के प्रथम चरण के तहत लगभग ₹6 करोड़ की सब्सिडी प्राप्त करने के बावजूद 242 लाभार्थियों ने घरों का निर्माण नहीं कराया।

योजना का उद्देश्य और प्रारंभिक स्वरूप
प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सस्ती और पक्के आवास उपलब्ध कराना है। इस योजना के पहले चरण के तहत वाराणसी जिले में 40,000 आवासों का आवंटन किया गया। प्रत्येक आवास के लिए कुल ₹5 लाख की लागत निर्धारित की गई थी, जिसमें से ₹2.5 लाख की राशि सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में दी जाती है और शेष राशि लाभार्थी द्वारा वहन की जानी होती है। इस ढांचे के तहत सरकार और लाभार्थी मिलकर आवास निर्माण को साकार करते हैं।

वेरिफिकेशन के दौरान उजागर हुआ फर्जीवाड़ा
राज्य सरकार द्वारा योजना के दूसरे चरण की शुरुआत से पूर्व पहले चरण के कार्यों की समीक्षा और वेरिफिकेशन की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। इसी क्रम में जब नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) ने निर्माण की स्थिति का जायजा लेना शुरू किया, तो एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। वेरिफिकेशन में यह पाया गया कि लगभग 500 लाभार्थियों ने सरकार से सब्सिडी की राशि तो प्राप्त कर ली, परंतु संबंधित भवन निर्माण से जुड़ा कोई दस्तावेज, फोटो या वीडियो विभाग को उपलब्ध नहीं कराया।

डूडा ने इस संबंध में दिसंबर 2024 तक का समय लाभार्थियों को दिया था ताकि वे निर्माण कार्य शुरू कर कागजात प्रस्तुत कर सकें। इस अवधि में 113 लाभार्थियों ने आंशिक निर्माण कराकर या आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत कर स्थिति स्पष्ट कर दी, लेकिन 350 से अधिक लाभार्थियों ने विभाग की ओर से भेजे गए नोटिसों की पूरी तरह अनदेखी की।

242 लाभार्थियों पर सख्त कार्रवाई
डूडा द्वारा कड़ी चेतावनी के बावजूद 242 लाभार्थियों ने न तो निर्माण कार्य शुरू किया, न ही कोई दस्तावेज जमा किया। इसके बाद विभाग ने जिला प्रशासन से सहयोग की मांग की। जिलाधिकारी के निर्देश पर सदर तहसील प्रशासन को कार्रवाई की जिम्मेदारी सौंपी गई, जिसने अमीनों के माध्यम से वसूली प्रक्रिया शुरू कर दी है।

यह वसूली प्रक्रिया प्रशासनिक दृष्टिकोण से न केवल अनुशासन लागू करने की पहल है, बल्कि यह अन्य लाभार्थियों के लिए एक स्पष्ट संदेश भी है कि सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

डूडा की स्थिति और आगे की योजना
इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए डूडा की परियोजना अधिकारी निधि वाजपेई ने स्पष्ट किया कि अब जिन लाभार्थियों ने निर्माण नहीं कराया है, उनसे या तो निर्माण के दस्तावेज मांगे जाएंगे या फिर जारी की गई सब्सिडी की राशि की रिकवरी की जाएगी। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में किसी भी तरह की ढिलाई की गुंजाइश नहीं रहेगी।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी जानकारी दी कि वेरिफिकेशन के बाद 900 पात्र लाभार्थियों की पहचान की गई है। इनके राजस्व और पहचान संबंधी दस्तावेजों की जांच कराई जा रही है। इन पात्र व्यक्तियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के दूसरे चरण (2.0) में आवास आवंटित किए जाएंगे।

दूसरे चरण की तैयारी और पारदर्शिता की आवश्यकता
पीएम आवास योजना का दूसरा चरण भी अब प्रारंभ हो चुका है, और 30 जून 2025 तक सर्वेक्षण और सत्यापन की प्रक्रिया पूरी की जानी है। सरकार ने निर्देश दिया है कि पहले चरण की सभी लंबित और अपूर्ण प्रक्रियाएं पूर्ण करने के बाद ही नए आवंटन की प्रक्रिया शुरू की जाए।

यह निर्णय पारदर्शिता और संसाधनों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे यह उम्मीद की जा रही है कि नए चरण में पात्र व्यक्तियों तक योजना के लाभ वास्तविक रूप से पहुंच पाएंगे।

योजना का उद्देश्य बनाम वास्तविकता
प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं का उद्देश्य समाज के वंचित वर्गों को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें सुरक्षित आवास उपलब्ध कराना है। किन्तु, वाराणसी में उजागर हुई यह घटना दिखाती है कि सहायता प्राप्त करने के बाद उसकी जिम्मेदारी निभाना भी उतना ही आवश्यक है।

प्रशासन द्वारा उठाए गए सख्त कदम आने वाले समय में योजना की विश्वसनीयता को बनाए रखने में सहायक होंगे। साथ ही, यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि ऐसे लाभार्थियों को पहचानकर बाहर किया जाए जो केवल सरकारी सहायता प्राप्त करने के उद्देश्य से योजनाओं का दुरुपयोग करते हैं।

वाराणसी की यह घटना शासन-प्रशासन और आम जनता, दोनों के लिए जागरूकता और उत्तरदायित्व का प्रतीक है। पारदर्शिता, सतर्कता और सक्रिय सहभागिता ही ऐसी योजनाओं की सफलता का आधार बन सकती है।

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