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फोटो-सोशल मीडिया |
नई दिल्ली। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) परिषद ने बुधवार को एक अहम बैठक में व्यापक कर सुधारों को मंजूरी दी। परिषद ने पांच और 18 फीसदी के दो-स्तरीय टैक्स ढांचे को लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली कई आवश्यक वस्तुओं पर कर घटा दिया गया है। खास बात यह है कि 10 प्रमुख वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दरें शून्य कर दी गई हैं। यह नई व्यवस्था 22 सितंबर से लागू होगी।
खाद्य पदार्थों पर जीएसटी शून्य
परिषद ने आम लोगों की जरूरत से जुड़ी कई खाद्य वस्तुओं को टैक्स मुक्त कर दिया है। अब पनीर और छेना (प्री-पैकेज्ड और लेबल वाले), UHT दूध, पिज्जा ब्रेड, खाखरा, चपाती और रोटी पर जीएसटी नहीं लगेगा। इसके अलावा पराठा, कुल्चा और अन्य पारंपरिक ब्रेड भी अब टैक्स-फ्री हो गई हैं। पहले इन सभी वस्तुओं पर 5% जीएसटी लगाया जाता था।
बीमा और स्वास्थ्य सेवाओं को मिली राहत
व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर पहले 18% जीएसटी लगता था। अब इसे पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। इसका सीधा फायदा आम लोगों को होगा क्योंकि बीमा कराना अब पहले से सस्ता हो जाएगा।
दवाइयों और मेडिकल उपकरणों पर कर में छूट
आम जनता के लिए राहत भरा निर्णय लेते हुए परिषद ने 33 जीवन रक्षक दवाओं को जीएसटी से मुक्त कर दिया है। साथ ही मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन, जिस पर पहले 12% टैक्स लगता था, अब शून्य कर दिया गया है। यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुलभ बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
बच्चों की शैक्षणिक सामग्री भी हुई टैक्स-फ्री
बच्चों की पढ़ाई से जुड़ी सामग्री पर भी टैक्स खत्म कर दिया गया है। पेंसिल, शार्पनर, क्रेयॉन, पेस्टल, अभ्यास पुस्तिकाएं, नोटबुक और इरेजर अब पूरी तरह टैक्स-फ्री हो गए हैं। पहले इन पर 12% जीएसटी वसूला जाता था।
फोटो-सोशल मीडिया0% जीएसटी वाले प्रमुख आइटम (नई दरें)
पनीर और छेना (प्री-पैकेज्ड, लेबल वाले) – 5% → 0%
UHT दूध – 5% → 0%
पिज्जा ब्रेड – 5% → 0%
खाखरा, चपाती और रोटी – 5% → 0%
पराठा, कुल्चा और अन्य पारंपरिक ब्रेड – 5% → 0%
व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा – 18% → 0%
जीवन रक्षक दवाएं (33 दवाएं) – विभिन्न → 0%
मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन – 12% → 0%
शार्पनर, क्रेयॉन और पेस्टल – 12% → 0%
कॉपी, नोटबुक, पेंसिल, इरेजर – 12% → 0%
नागरिकों को सीधे लाभ
सरकार का यह कदम आम उपभोक्ताओं को राहत देने वाला है। खाद्य पदार्थों और शैक्षणिक सामग्रियों पर टैक्स हटने से परिवारों के खर्च में कमी आएगी। वहीं, बीमा और स्वास्थ्य क्षेत्र में टैक्स में कटौती से इलाज और बीमा पॉलिसी की प्रीमियम राशि भी कम हो जाएगी।
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