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जर्जर मसिना बिल्डिंग में चल रही क्लासेस, सैकड़ों बच्चों की सुरक्षा पर खतरा


  • भायखला में खतरनाक घोषित इमारत खाली नहीं, म्हाडा ने दी सख्त चेतावनी
  • C-1 श्रेणी की मसिना बिल्डिंग में रोज़ाना आते हैं 400 छात्र, दुर्घटना का खतरा बरकरार
  • म्हाडा का अल्टीमेटम: 48 घंटे में दस्तावेज़ जमा न करने पर कटेगी पानी-बिजली
  • कोचिंग क्लास में रोज़ाना आ रहे छात्र, प्रशासन ने जताई गहरी चिंता

  • गत वर्ष बी-विंग का हिस्सा ढहने के बाद भी इमारत में जारी गतिविधियां

  • पुनर्विकास प्रस्ताव लंबित, निवासियों का दस्तावेज़ न सौंपना बनी बड़ी बाधा


भायखला के क्लेयर रोड स्थित मसिना बिल्डिंग को महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) ने अप्रैल 2025 में “सी-1” श्रेणी की खतरनाक इमारत घोषित किया था। इसके बावजूद, तीन माह की निर्धारित अवधि बीत जाने पर भी न तो इमारत खाली हुई है और न ही उसमें चल रही गतिविधियां रुकी हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि भवन के भूतल पर संचालित कोचिंग क्लास में प्रतिदिन लगभग 400 छात्र आते हैं, जिससे उनके जीवन को भी गंभीर खतरा बना हुआ है।

48 घंटे में कार्रवाई की चेतावनी

म्हाडा ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि यदि अगले 48 घंटों के भीतर निवासियों और इमारत के मालिक की ओर से आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए, तो पानी और बिजली की आपूर्ति बंद कर दी जाएगी। यह चेतावनी न केवल सुरक्षा कारणों से बल्कि पुनर्विकास प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए भी दी गई है। प्रशासन का मानना है कि बिना दस्तावेज़ी प्रक्रिया पूरी हुए, किसी भी तरह की मरम्मत या पुनर्निर्माण कार्य संभव नहीं होगा।

खतरनाक घोषित होने के बावजूद जारी गतिविधियां

मसिना बिल्डिंग में तीन विंग हैं और इनमें कुल 22 किरायेदार रहते हैं। भूतल पर स्थित कोचिंग सेंटर में सुबह 8 बजे से रात 9 बजे तक लगातार बैच चलते हैं। प्रतिदिन आने वाले लगभग 400 छात्रों और वहां मौजूद स्टाफ की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

जानकारी के अनुसार, इस बिल्डिंग के बी-विंग का पिछला हिस्सा 8 अगस्त 2024 को ढह गया था, जिसके बाद तत्कालीन निरीक्षण में इसे खतरनाक करार दिया गया। इसके बावजूद, समय पर आवश्यक कदम नहीं उठाए गए और स्थिति जस की तस बनी रही।

संरचनात्मक ऑडिट और पुनर्विकास प्रस्ताव

मुंबई सुधार बोर्ड ने 16 अप्रैल 2025 को इमारत का निरीक्षण किया और संरचनात्मक ऑडिट के बाद इसे सी-1 श्रेणी में वर्गीकृत किया। सी-1 श्रेणी का अर्थ है कि इमारत तुरंत खाली कराई जाए और इसे ध्वस्त कर पुनर्निर्माण किया जाए, क्योंकि इसमें रहना जानलेवा साबित हो सकता है।

बोर्ड ने मालिक मोहम्मद रसूल मिर्ज़ा हुसैन इस्माली को नोटिस जारी कर तीन महीने के भीतर 51 प्रतिशत निवासियों की अपरिवर्तनीय सहमति पत्र के साथ पुनर्विकास प्रस्ताव पेश करने को कहा था। लेकिन, निर्धारित समय बीत जाने के बाद भी यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है।


हालिया घटनाओं से बढ़ी सतर्कता

पिछले सप्ताह मदनपुरा में एक जर्जर इमारत ढह गई थी, जिसमें कई लोगों को चोटें आईं। इस घटना के बाद म्हाडा का मुंबई भवन मरम्मत एवं पुनर्वास बोर्ड पूरी तरह सतर्क हो गया है। खतरनाक घोषित 96 इमारतों के बिजली और पानी की आपूर्ति काटने का नोटिस जारी किया गया है और पुलिस की मदद से इन्हें खाली कराने की योजना बनाई गई है।

सामाजिक हस्तक्षेप और मांग

सामाजिक कार्यकर्ता संदीप वैद्य ने मसिना बिल्डिंग की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने नगर निगम और म्हाडा से तुरंत हस्तक्षेप कर इमारत खाली कराने की मांग की है। वैद्य का कहना है कि यहां रोज़ाना आने वाले सैकड़ों बच्चों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता।

सुरक्षा को लेकर गहराता संकट

इस पूरी स्थिति में सबसे बड़ी चिंता यह है कि यदि समय रहते इमारत खाली नहीं कराई गई तो किसी भी क्षण बड़ी दुर्घटना हो सकती है। मुंबई में मानसून का मौसम पहले ही ढांचागत रूप से कमजोर इमारतों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होता है। ऐसी परिस्थितियों में मसिना बिल्डिंग जैसी खतरनाक संरचनाओं में गतिविधियों का जारी रहना गंभीर जोखिम है।

प्रशासन के सामने चुनौतियां

म्हाडा और मुंबई नगर निगम के लिए चुनौती यह है कि निवासियों को सुरक्षित स्थान पर पुनर्स्थापित करने के साथ-साथ कानूनी और तकनीकी प्रक्रियाओं को समय पर पूरा किया जाए। कई बार निवासियों द्वारा दस्तावेज़ प्रस्तुत न करने, पुनर्विकास प्रस्ताव पर सहमति न देने या वैकल्पिक व्यवस्था को लेकर असहमति जैसी वजहों से कार्यवाही में देरी होती है।

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, यदि 48 घंटे की समयसीमा में दस्तावेज जमा नहीं किए गए, तो पानी और बिजली की आपूर्ति बंद कर दी जाएगी और पुलिस की मदद से इमारत खाली कराई जाएगी। इसके बाद पुनर्विकास या ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

भायखला की मसिना बिल्डिंग का मामला न केवल एक स्थानीय आवासीय संकट है बल्कि यह शहरी सुरक्षा और प्रशासनिक तत्परता का भी परीक्षण है। पिछले वर्ष के हादसे के बाद भी यहां गतिविधियों का जारी रहना इस बात का संकेत है कि समय पर कार्रवाई न होने से खतरे कितने बढ़ सकते हैं। अब यह देखना होगा कि म्हाडा और स्थानीय प्रशासन किस गति और सख्ती से इस खतरनाक स्थिति को समाप्त करने के लिए कदम उठाते हैं।

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