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क्या ‘जागरूकता’ बन सकती है महिलाओं में स्तन कैंसर की ढाल?, हर 14 सेकंड में एक महिला हो रही स्तन कैंसर से पीड़ित

 

फोटो-सोशल मीडिया

स्तन कैंसर: एक वैश्विक संकट और भारत की भूमिका

बढ़ती जागरूकता के साथ स्तन कैंसर पर नियंत्रण संभव?

भारत में हर साल होती हैं 1.6 लाख से अधिक नई ब्रेस्ट कैंसर मरीज

‘डॉ. सुसान लव फाउंडेशन’ द्वारा स्थापित विश्व स्तन कैंसर अनुसंधान दिवस की महत्ता

समस्या बड़ी है, पर समाधान जागरूकता और समय रहते जांच में है


ब्रेस्ट कैंसर: महिलाओं के लिए एक बढ़ता हुआ वैश्विक खतरा

हर 14 सेकंड में एक महिला स्तन कैंसर (ब्रेस्ट कैंसर) की चपेट में आ रही है। यह आंकड़ा केवल एक संख्या नहीं, बल्कि एक खतरनाक संकेत है जो इस बात की ओर इशारा करता है कि आज भी इस रोग के प्रति समुचित जागरूकता, प्रारंभिक जांच और शीघ्र उपचार की भारी कमी है।

विशेष रूप से आज, 18 अगस्त, को 'विश्व स्तन कैंसर अनुसंधान दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है। इस दिन की शुरुआत वर्ष 2021 में डॉ. सुसान लव फाउंडेशन द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य स्तन कैंसर को लेकर वैश्विक जागरूकता फैलाना और अनुसंधान को बढ़ावा देना था।


स्तन कैंसर के आंकड़े और वैश्विक परिप्रेक्ष्य

वर्ष 2020 में ही विश्वभर में 2.3 मिलियन (23 लाख) महिलाओं को स्तन कैंसर हुआ और इनमें से लगभग 6.85 लाख महिलाओं की मृत्यु हुई। ये आंकड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विभिन्न कैंसर अनुसंधान संस्थानों द्वारा प्रमाणित हैं। अमेरिका, जो स्तन कैंसर अनुसंधान पर हर वर्ष 167 बिलियन डॉलर खर्च करता है, में भी यह रोग महिलाओं के बीच सबसे आम कैंसर बन चुका है। अब तो वहां पुरुषों में भी स्तन कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं।


भारत की स्थिति: एक गंभीर चुनौती

भारत इस सूची में चौथे स्थान पर आता है। यहां हर साल 1.62 लाख से अधिक महिलाएं स्तन कैंसर से प्रभावित होती हैं और इनमें से लगभग 87,000 महिलाओं की असमय मृत्यु हो जाती है। इसका सीधा कारण है— रोग के प्रति जागरूकता की कमी, प्रारंभिक जांच में देरी, और इलाज की समुचित व्यवस्था तक सीमित पहुंच।


चौंकाने वाली बात यह है कि प्रत्येक घंटे भारत में एक महिला स्तन कैंसर से ग्रसित हो रही है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में जागरूकता अभियानों के चलते इस बीमारी को लेकर थोड़ा सुधार अवश्य हुआ है, लेकिन यह प्रयास अभी भी अपर्याप्त हैं।

फोटो- सोशल मीडिया



शहरी और ग्रामीण भारत में स्तन कैंसर का प्रभाव

पहले यह माना जाता था कि स्तन कैंसर का प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक होता है, लेकिन अब शहरी महिलाएं भी समान रूप से प्रभावित हो रही हैं। शहरी जीवनशैली में अनियमित खान-पान, तनाव, रासायनिक युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन, कम व्यायाम और देर से शादी या मातृत्व जैसे कई कारक इसके लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं।


जांच और उपचार की दिशा में हो रहे प्रयास

आज स्तन कैंसर के इलाज में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और हार्मोन थेरेपी जैसी आधुनिक चिकित्सा विधियों का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन इन उपचारों की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि बीमारी की पहचान कितनी जल्दी हो जाती है।


चिकित्सकों के अनुसार, यदि किसी महिला को अपने स्तन में गांठ, रंग परिवर्तन, या असामान्य स्त्राव जैसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत जांच करानी चाहिए। शुरूआती अवस्था में पहचाना गया स्तन कैंसर पूरी तरह से ठीक हो सकता है।


भारत में स्तन कैंसर की जीवित रहने की दर 60 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका में यह दर 80 प्रतिशत है। इसका मुख्य कारण यह है कि वहां की महिलाएं नियमित जांच कराती हैं, और स्वास्थ्य शिक्षा का स्तर भी ऊंचा है।


डॉ. सुसान लव फाउंडेशन और अनुसंधान की भूमिका

डॉ. सुसान लव फाउंडेशन, जिसने इस दिवस की शुरुआत की, का उद्देश्य स्तन कैंसर को लेकर दुनियाभर में न केवल जागरूकता फैलाना है, बल्कि इससे संबंधित अनुसंधान को भी बढ़ावा देना है। इस फाउंडेशन के प्रयासों को WHO, यूनिसेफ, और विश्व कैंसर संस्थान समेत 193 देशों का समर्थन प्राप्त है।


अनुसंधान के चलते अब स्तन कैंसर का पूर्वानुमान लगाना संभव हो गया है। जेनेटिक परीक्षण (BRCA1/BRCA2), मैमोग्राफी, बायोप्सी, और अन्य उन्नत जांच विधियाँ इस दिशा में उपयोगी सिद्ध हो रही हैं।


जन-जागरूकता और समुदाय की भूमिका

स्तन कैंसर से निपटने में जन-जागरूकता सबसे बड़ी ताकत है। स्कूलों, कॉलेजों, कार्यस्थलों और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविरों, नुक्कड़ नाटकों, महिला समूहों के माध्यम से जागरूकता फैलाने के प्रयास होने चाहिए।


‘अर्ली डिटेक्शन इज़ द बेस्ट प्रोटेक्शन’ (जल्द पहचान, सर्वोत्तम सुरक्षा) केवल एक स्लोगन नहीं, बल्कि एक जीवनदायी सच है।

फोटो- सोशल मीडिया

सरकारी और गैर-सरकारी प्रयास

भारत सरकार और कई गैर-सरकारी संगठन इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। आयुष्मान भारत योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, और कैंसर सहायता संस्थाएं जैसे प्लेटफॉर्म पर स्तन कैंसर से संबंधित जांच और इलाज की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।


मोबाइल मैमोग्राफी वैन, फ्री कैंप, और महिला हेल्थ एजुकेशन वर्कशॉप्स को और अधिक व्यापक बनाना समय की मांग है।


हर महिला को चाहिए सतर्कता और जागरूकता

स्तन कैंसर अब केवल एक बीमारी नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। इसे रोकने का सबसे प्रभावी उपाय है— जानकारी, सावधानी और समय रहते जांच।

यदि प्रत्येक महिला अपने शरीर में हो रहे बदलावों को गंभीरता से ले, नियमित जांच कराए और भय के बजाय साहस के साथ इलाज की ओर कदम बढ़ाए, तो इस रोग को काफी हद तक रोका जा सकता है।

इस विश्व स्तन कैंसर अनुसंधान दिवस पर हमारा यह संकल्प होना चाहिए कि हम न केवल खुद जागरूक बनें, बल्कि समाज में भी इसके प्रति चेतना फैलाएं। क्योंकि एक सही समय पर किया गया कदम, एक जीवन बचा सकता है।

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