– पत्रकारिता में उत्कृष्ट योगदान के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान, परिजनों व पत्रकारों में खुशी की लहर
सुइथाकला, जौनपुर। देश के प्रतिष्ठित और समर्पित पत्रकारों में शुमार मंगलेश्वर त्रिपाठी 'मुन्ना' को पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके दीर्घकालीन योगदान, सत्यनिष्ठ कार्यशैली और समाज के प्रति उत्तरदायित्वपूर्ण लेखनी के लिए डाक्टरेट की उपाधि से नवाजा गया है। यह सम्मान उन्हें शनिवार को नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर स्थित गुलमोहर ऑडिटोरियम में एक भव्य समारोह के दौरान प्रदान किया गया। इस गौरवशाली क्षण की जानकारी जैसे ही उनके गृहक्षेत्र अढ़नपुर गांव और आसपास के इलाकों में फैली, परिजनों, शुभचिंतकों और पत्रकार बिरादरी में उल्लास की लहर दौड़ गई।
एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर गौरव की अनुभूति
इस विशिष्ट सम्मान का आयोजन इटली के प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ सीयूएनइओ द्वारा किया गया था, जिसमें भारत स्थित जमैका दूतावास की सहभागिता भी रही। कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधि डॉ. विक गैफनी (ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार), रशियन दूतावास की अधिकारी एलिना बर्मन, श्रीलंका दूतावास के मंत्री काउंसलर लक्ष्मेंद्र गेशन, और नाइजीरियन दूतावास के कंसल्टिंग डायरेक्टर कांगूना फिलिप जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि मौजूद थे। इन्हीं महानुभावों के कर-कमलों द्वारा मंगलेश्वर त्रिपाठी को यह डाक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई।
जिन्होंने सच्ची पत्रकारिता का पर्याय गढ़ा
मंगलेश्वर त्रिपाठी मुन्ना पत्रकारिता के क्षेत्र में तीन दशकों से अधिक समय से सक्रिय हैं। उन्होंने देश के कई शीर्षस्थ समाचार पत्रों, न्यूज एजेंसियों और टीवी मीडिया संस्थानों में कार्य करते हुए अपने निष्पक्ष और निर्भीक लेखन से समाज में सकारात्मक प्रभाव डाला है। चाहे ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षित समस्याओं को प्रमुखता से उठाना हो या शासन-प्रशासन की नीतियों का विश्लेषण करना — श्री त्रिपाठी ने हमेशा पत्रकारिता को जनसेवा का माध्यम बनाया।
उनकी लेखनी ने न केवल जनमत को दिशा दी बल्कि अनेक बार प्रशासनिक हलकों में सुर्खियां बटोरीं। पत्रकारिता में उनका योगदान सिर्फ खबरों तक सीमित नहीं रहा, उन्होंने सामाजिक न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में भी अपनी लेखनी से चेतना जगाई।
कार्यक्रम में जुटीं कई प्रतिष्ठित हस्तियाँ
इस सम्मान समारोह में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रमुख हस्तियां उपस्थित थीं। इसमें रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल और नागालैंड के पूर्व मंत्री डोसे सेमा, गृह मंत्रालय के केंद्रीय उप सचिव सीबी तिवारी, कैडिला ग्रुप के वाइस चेयरमैन डॉ. पीके राजपूत, ऑक्सफोर्ड ग्रुप के निदेशक डॉ. पुनीत द्विवेदी, और डॉ. नेहा शर्मा जैसे नामचीन लोग शामिल थे। कार्यक्रम की गरिमा और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने इस सम्मान को और भी ऐतिहासिक बना दिया।
गांव में छाया खुशी का माहौल, परिजनों की आंखों में खुशी के आंसू
डाक्टरेट सम्मान की खबर जब अढ़नपुर गांव पहुंची, तो गांव में जैसे जश्न का माहौल बन गया। परिजनों, मित्रों, ग्रामीणों और शुभचिंतकों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी जाहिर की। त्रिपाठी जी के घर पर पूरे दिन बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। माता-पिता व परिजन इस ऐतिहासिक क्षण पर गर्व से गदगद नजर आए।
स्थानीय पत्रकारों और समाजसेवियों ने दी शुभकामनाएं
क्षेत्रीय पत्रकार और सहयोगियों ने भी श्री त्रिपाठी की इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त किया और उन्हें शुभकामनाएं दीं। राज्य ब्यूरो प्रमुख संतोष कुमार दीक्षित, डॉ. प्रदीप कुमार दूबे, राजेश चौबे, कमलेश त्रिपाठी, संतोष पाण्डेय, अजय पाण्डेय, आशुतोष दूबे सहित अन्य पत्रकारों ने इसे संपूर्ण क्षेत्र के लिए गौरव का विषय बताया। इनका कहना था कि श्री त्रिपाठी जैसे पत्रकार समाज के लिए प्रेरणा हैं, जिन्होंने पत्रकारिता के मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया।
गांव के युवाओं के लिए बने प्रेरणा स्रोत
श्री मंगलेश्वर त्रिपाठी की इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने न केवल गांव बल्कि संपूर्ण क्षेत्र के युवाओं को एक नई प्रेरणा दी है। युवा पत्रकारों और छात्र-छात्राओं के लिए यह उदाहरण है कि कठिन परिश्रम, सच्ची निष्ठा और जनसेवा की भावना से कोई भी ऊंचाई प्राप्त की जा सकती है।
क्या बोले मंगलेश्वर त्रिपाठी
सम्मान मिलने के बाद मंगलेश्वर त्रिपाठी ने कहा, "यह डाक्टरेट की उपाधि सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि उन तमाम ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों की आवाज़ों की जीत है जिन्हें मुख्यधारा की पत्रकारिता में बहुत बार अनसुना कर दिया जाता है। मैं इस सम्मान को पत्रकारिता की आत्मा – ‘सत्य, साहस और समाज के प्रति ज़िम्मेदारी’ – को समर्पित करता हूं।" उन्होंने कहा कि यह उपाधि उनके लिए नई जिम्मेदारियों का प्रतीक है और वे आगे भी निष्पक्ष, निर्भीक और जनपक्षीय पत्रकारिता करते रहेंगे।
मंगलेश्वर त्रिपाठी मुन्ना को पत्रकारिता में डाक्टरेट की उपाधि मिलना न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह संपूर्ण क्षेत्र, ग्रामीण पत्रकारिता, और सच्चे पत्रकारिता मूल्यों की जीत है। यह वह पल है जब एक गांव का बेटा अंतरराष्ट्रीय मंच पर खड़ा होकर भारतीय पत्रकारिता की गरिमा बढ़ाता है। यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों को यह विश्वास दिलाती है कि सच्चाई और निष्ठा की राह पर चलकर कोई भी शिखर तक पहुंच सकता है।
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